अन्तर्मन की तरफ चलने की शुरुआत STARTING THE JOURNEY TOWARDS THE DIVINE

जब इंसान परेशानियों का हल निकाल कर थक जाता है तब वो कहीं अपने अन्तर्मन की तरफ मुड़ता है। तब वो कहीं जाकर भगवान को पुकारता है। कहता है कि बस अब और नहीं। अब मुझे शांति चाहिए।

ऐसा ही कुछ मेरे साथ हुआ था जिसने मुझे इस पथ पर आगे बढ़ने के लिए प्रेरित किया। मेंने उस एहसास को इज्जत दी और अपने मन की राह पर चली। अपने आप को खुश रखने केलिए ही तो  इंसान सारी जिंदगी भागता है।कभी पैसे की तरफ, कभी सत्ता की तरफ। मेंने उस खुशी के एहसास को अपने भगवान मेँ पा लिया, पैसा और सत्ता खोये बिना।

आगे क्या हुआ मेँ  आपको आगे की पोस्ट मेँ बताती रहूँगी । पर आज भगवान मेरे साथ चलते हें। आज मेरा मन खुशी से परिपूर्ण है।

आप सब जन जो इसे पढ़ रहे हें, अपने अन्तर्मन की आवाज़ को सुनिए, उसे दबाएँ नहीं। जब आप मंथन क्रिया के पथ पर अग्रसर होंगे, आपको भी भगवान की मौजूदगी का एहसास होगा।

बडे चलें।

हरी ॐ

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