मेरी जिंदगी की सब उलझनों में यह उलझन सबसे बड़ी थी। धर्म क्या है?
अपनों को प्यार करके उनकी गलतियों को पर्दा करना धर्म है ना । समाज में इज्जतदार इंसान की तरह रहना धर्म है ना। कोई गरीब है तो उसकी मदद करना धर्म है ना । लोगों को जैसा पहनावा पसंद है, वो पहनना धर्म है ना, ताकि वह खुश रहें। कोई मुझे गाली भी दे तो चुप रहना धर्म है ना, ताकि लड़ाई ना हो। और भी ऐसे बहुत सारे प्रकरण होते थे जब धर्म समझना मुश्किल होता था।
जब मैंने यह पथ शुरू किया था तो मैंने गुरुदेव से भी यही प्रश्न किया था। धर्म की परिभाषा क्या है? में धर्म का पालन कैसे करूँ। उन्होने कहा कि तुम एक दिन सब समझ जाओगी। बस अपने पथ पर चलती चलो। और ऐसा ही हुआ। ईश्वर की कृपा हुई और मुझे धर्म का ज्ञान प्राप्त हुआ। उस माला में से कुछ मोती चुनकर आपके सामने प्रस्तुत कर रही हूँ।
धर्म कोई माला नहीं है जिसे जब मन आया पहन लिया और जब मन आया उतार दिया । जब आप धर्म का पालन करें तो सदा के लिए करें। अपने से नीचे के लोगों की मदद करें। दुखियों की मदद करने में यह सोच कर ना हिचकें कि वह सत्य का पालन कर रहा है या नहीं। उसकी आंखों में देखें, उससे बात करें, आपको बात करके ज्यातर यह समझ आ जाता है कि आत्मा शीतल है या नहीं। कोशिश करें समझने की, भागे नहीं क्यूंकि आप विश्वास नहीं करते। आज मेरा आपको आश्वासन है कि आपको समझ आएगा।
पंछी, जानवर सब आपके प्यार के हकदार हैं। सबको अपनी आत्मा से प्यार का एक अंश दें। आपके भी कर्मा का भार कम होगा। आपको शांति प्राप्त होगी।
दूसरा: आपका जन्म आपकी आत्मा को आगे बढ़ाने के लिए हुआ है, धर्म के पथ पर, प्रेम के पथ पर, उन्नति के पथ पर। अपनी अंतरात्मा के होने को स्वीकार करें। आपका परिवार, आपके साथी, सब आपकी मदद, आपकी उन्नति में साथी हैं। उनकी मदद से आगे बड़ें, उनसे बंदी ना बनें। शायद उनको आपकी मदद से आगे बढ़ना हो। अपनी राह पर चल चलें।
थोड़ा थोड़ा करके, इस संसार में, हम सब इक दूसरे की उन्नति में सहायक बनें, यही धर्म है।
हरी ॐ 🙏🙏✋